उम्मीदें ज़्यादा होगी तो कड़वाहट बढ़ती है - आर्यिका विज्ञाश्री

गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी का 25 वां रजत दीक्षा जयंती महामहोत्सव का समापन समारोह शनिवार 22 फरवरी से सोमवार 24 फरवरी तक भव्यतिभव्य समारोह के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाएगा। इस महोत्सव का शुभारंभ गुवाहाटी के विख्यात व्यवसायी श्रीपाल कुसुम, भागचंद सुनीता चूड़ीवाल परिवार द्वारा ध्वजारोहण कर किया जाएगा, इस महोत्सव के मुख्य अतिथि राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होंगे और समाजसेवी गणेश राणा, धर्मेंद्र पाटनी, नरेंद्र पाटनी, नरेश बनेठा, सुधीर जैन, हेमन्त सौगानी, अनिल जैन धुंवा वाले, मनोज झांझरी, महोत्सव अध्यक्ष सुभाष पाटनी, महामंत्री अशोक जैन नेता, मुख्य परामर्शक महेश काला, संयोजक कमल काला, भागचंद जैन, जिनेन्द्र पाटनी, कोषाध्यक्ष राजकुमार कोठयारी सहित 10 हजार से अधिक श्रद्धालुगण इस महोत्सव में भाग लेंगे।


प्रचार संयोजक अभिषेक जैन बिट्टू एवं मंत्री जितेंद्र मोहन जैन ने बताया कि महोत्सव में मंगल सानिध्य प्रदान करने के लिए गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी सहित 9 आर्यिका व छूल्लिका माताजी ने बड़ के बालाजी के सुपार्श्व गॉर्डन स्थित चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर में भव्य एवं अलौकिक मंगल प्रवेश किया। इस दौरान अजमेर रोड़ से भव्य बेंड-बाजों, जयकारों, सैकड़ो श्रद्धालुओ और महिला व पुरुष बेंड वादकों के संगीत के द्वारा मंगल प्रवेश की शोभायात्रा निकाली गई। मन्दिर जी द्वार पर आयोजन समिति, सकल दिगम्बर जैन समाज और चूड़ीवाला परिवार द्वारा रंगोली द्वारा स्वस्तिक चिन्ह प्रदर्शित किया गया और दीप ज्योति प्रवज्जलित की गई, जिसके बाद सभी ने आर्यिका माताजी के पाद प्रक्षालन कर अगवानी सम्पन्न की। जिसके बाद आर्यिका संघ ने मन्दिर जिनालय में चन्द्रप्रभ भगवान और समाधि स्थल पर पूज्य गुरुमां सुपार्श्वमती माताजी का मंगल आशीर्वाद प्राप्त कर उपस्थित जन समूह को संबोधित किया।


स्वभाव सदैव मीठा रहे तो जिंदगी सरल हो जाती है


गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ने अपने मंगल आशीर्वचन में कहा कि " आज का प्राणी अवसर कम उम्मीदों पर ज़्यादा चल रहा है। खुद को प्राप्त अवसर को छोड़ दूसरों से उम्मीद रख कड़वाहट को बढ़ावा दे रहा है। हम जितनी भी उम्मीद दूसरों से रखेंगे वह रिश्तों में कड़वाहट ही बढ़ाएगी, इसलिए रिश्तों में मिठास लाना अति आवश्यक है, अगर प्राणी का स्वभाव सदैव मीठा रहेगा तो जिंदगी इतनी सरल हो जाएगी कि केवल अवसर ही अवसर दिखेंगे, उम्मीदें समाप्त हो जाएगी। प्रत्येक प्राणी को दूसरों से उम्मीद तब रखनी चाहिए जब वह स्वयं के मिले अवसरों पर कार्य करता है। अगर वह यह नही कर सकता है तो दूसरों से उम्मीद नही रखनी चाहिए जैसे ताली एक हाथ से नही बज सकती है ठीक वैसे ही अवसर और उम्मीद एक साथ नही मिल सकती है। दोनों हाथों से ताली बजती है ठीक वैसे ही किसी को अवसर मिलता है और किसी में उम्मीदें जगती है। इसलिए कड़वाहट को मिटाओ और मिठास को बढ़ाओ।