ऐसा लगता है जैसे आशा भोसले गा रही हो
जयपुर। पर्दे पर आने के बाद तो सभी लोग कलाकारों से ऑटो ग्राफ लेने की होड़ रखते हैं लेकिन पर्दे के बाहर भी बड़ी दुनिया है। मैंने विषम परिस्थितियों में संगीत को अपने दिल में बसा के रखा है।अब लोग जब मंच पर प्रस्तुति देने के बाद मुझे आकर यह कहते हैं कि ऐसा लगा जैसे आशा भोसले गा रही हों तो यह कॉमेंट मेरे लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं होता। यह कहना है प्रदेश में जूनियर आशा भोसले के नाम से पहचान कायम करने वाली गायिका वीणा मोदानी का। मोदानी ने देश-विदेश में अपने हुनर का जलवा बिखेर संगीत के सुधिजनों को अपना मुरीद बनाया है। वीणा ने बड़े कलाकारों की रिकार्डिंग को सुनकर ऐसी तैयारी कर ली है कि कोई भी गाना हो उसे हूबहू गा देती हैं। उनका गाना सुन संगीत के सुधि श्रोता हतप्रभ रह जाते हैं।


नहीं ली कोई तालीम…..
वीणा में संगीत के गुण विरासत में मिले। पिता डॉ. विनोद सोमानी एलआईसी में जॉब करते थे साथ ही लेखन भी करते थे। उनको गाने का बड़ा शौक था। माताजी विद्या सोमानी भी सिंगर थीं। लेकिन शादी के बाद संगीत का सफ़र थम सा गया। इसके बाद मेरे पति विपिन मोदानी ने मेरी प्रतिभा की परख करते हुए मेरा होसला बढ़ाया।बस यहीं से फिर शुरु हुआ सात सुरों का कारंवा।


नाम से ज्यादा काम पर ध्यान….
वीणा ने भजन सम्राट पद्मश्री अनूप जलोटा के साथ भी मंच पर प्रस्तुति दी है। राजस्थान के अलावा देश-विदेश के मंचो जिनमें उदयपुर, अजमेर, अलवर, कोटा, बीकानेर के अलावा बैंगलोर, गुजरात, बैंकॉक और दुबई प्रमुख हैं।


एक दिन आशाजी के सामने गाऊंगी….
वीणा से जब उनके ड्रीम के बारे में पुछा तो उनका जवाब था कि जल्द ही एक एलबम निकालने का मन है जो किसी अच्छी कंपनी से होगा साथ ही वे आशा भोसले के सामने प्रस्तुति देना चाहती हैं ताकि उनका भी आशीर्वाद ले सकें।वीणा गायन के अलावा नृत्य में भी पारंगत है। वे गायन में ही अपना कॅरियर बना रही हैं। वर्तमान में सभी मंच वीणा की प्रस्तुति के बिना अधूरे रहते हैं।