कार्यों में अनियमितता पर जेवीवीएनएल ने आठ ठेकेदार फर्मों पर कार्यवाही कर 36.80 लाख की शास्ति लगाई-ऊर्जा मंत्री
जयपुर, 12 मार्च। ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने गुरूवार को विधानसभा में बताया कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा कार्यों में अनियमितता बरतने पर आठ ठेकेदार फर्मों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए उनसे 36.80 लाख रुपये की शास्ति वसूली गई है। इसके साथ ही गत एक वर्ष में जांच के दौरान एवं शिकायत प्राप्त होने पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों के माइनर इंक्वायरी के 227 तथा मेजर इंक्वायरी के 94 प्रकरणों में से 19-19 प्रकरणों में शास्ति लगाई गई है।
डॉ. कल्ला विधायकों द्वारा इस सम्बंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि गत एक वर्ष के दौरान कार्यों में अनियमितता बरतने पर मैसर्स आरके इलेक्टि्रकल्स से 9.77 लाख, मैसर्स आरसी एंटरप्राइजेज से 11.17 लाख, मैसर्स विकास एंटरप्राइजेज से 5.60 लाख, मैसर्स विकास इंजीनियरिंग कम्पनी से 1.55 लाख, मैसर्स आर्यन इलेक्टि्रकल्स से 4.20 लाख, मैसर्स चौधरी इलेक्टि्रकल्स से 2.30 लाख, मैसर्स जगदीशपुरी कांट्रेक्टर से 1.51 लाख तथा मैसर्स राधा इलेक्टि्रकल्स से 0.75 लाख रुपये की शास्ति वसूली गई है। उन्होंने बताया कि गत एक वर्ष में जांच के दौरान एवं शिकायत के प्रकरणों में अनियमितता पाए जाने पर 227 अधिकरियों के विरूद्ध माइनर इंक्वायरी तथा 94 के खिलाफ मेजर इंक्वायरी सीसीए नियमों के तहत की गई। इनमें से 38 प्रकरणों में दोषी पाए जाने पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ शास्ति लगाई गई है। इसके अलावा इस अवधि में तकनीकी अंकेक्षण में अनियमितता पाए जाने पर 18 प्रकरणों में 68 अधिकारियों व कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारम्भ की गई है। उन्होंने सदन को आशवस्त किया कि यदि ट्रांसफार्मर, तार या प्रोक्योरमेंट के किसी भी सामान से सम्बंधी अनियमितता का कोई विशिष्ट प्रकरण सरकार के ध्यान में लाया जाता है तो उसकी एसीबी से जांच कराई जाएगी।
इससे पहले विधायक श्री रामनारायण मीना के मूल प्रश्न के लिखित उत्तर में ऊर्जा मंत्री ने बताया कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का वार्षिक घाटा वर्ष 2015-16 में 4462.91 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2018-19 में घटकर 3257.55 करोड़ रुपये रहा है। उन्होंने बताया कि उदय योजना का ब्याज चढ़ने के कारण घाटा बढ़ा है। साथ ही बिजली की खरीद जो पहले 4.04 रुपये में होती थी, अब 4.54 रुपये में हो रही है, इसके कारण 1613 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक भार बढ़ गया है।
डॉ. कल्ला ने बताया कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में किसी भी प्रकार की अनियमिताओं की शिकायत आने पर जांच की जाती है तथा इसमें अनियमितता पाये जाने पर नियमानुसार संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही होती है। यह एक निरन्तर प्रक्रिया है। तकनीकी अंकेक्षण विंग द्वारा भी नियमित जांचे की जाती हैं व अनियमितता पाये जाने पर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाती है।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि निगम के कार्यों के लिए प्रत्येक स्तर पर सभी अधिकारियों को समय-समय पर सभी निर्दिष्ट कार्यों कोे सम्पादित करने की जिम्मेदारी दी हुई है। तकनीकी छीजत लगातार कम करने के लिए विद्युत तंत्र में सुधार कार्य कराये जा रहे है एवं अधिकारियों को प्रत्येक स्तर पर उत्तरदायी बनाया गया है। तकनीकी अंकेक्षण विंग द्वारा की गई जांच में फील्ड अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे तकनीकी कार्यों में अनियमितता पाये जाने पर 68 दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारम्भ की गई है तथा आठ ठेकेदार फर्म के विरूद्ध भी कार्यवाही की गई है।
डॉ. कल्ला ने बताया कि राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शिता अधिनियम-2012 (राजस्थान ट्रांसपैरेन्सी एण्ड पब्लिक प्रोक्योरमेन्ट एक्ट) के प्रावधानों के अनुसार निगम द्वारा सप्लायर से सामान की खरीद ई-प्रोक्योफरमेंट से की जाती है। सप्लाई किए गए सामानों की भी जांच, मैन्युफेक्चरर के वक्र्स पर सप्लाई से पूर्व व सामान की डिलीवरी के बाद सेन्ट्रल टैस्टिंग लैब द्वारा की जाती है। टैस्टिंग लैब द्वारा स्वीकृत सामानों को फील्ड में लगाया जाता है व अस्वीकृत को फर्म को वापस भेज दिया जाता है। जब भी इस बारे में कोई शिकायत प्राप्त होती है तो उस शिकायत की जांच कर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। यह एक सतत प्रक्रिया है।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि वितरण निगम द्वारा निविदा प्रक्रिया से कार्य के लिए कॉन्ट्रैक्टर्स का चयन किया जाता है। कॉन्ट्रैक्टर द्वारा लगाये जाने वाले लाइन मैटेरियल की सघन जांच मैन्यूफेक्चरर के वक्र्स पर डेडीकेटेड मैटेरियल इंस्पैक्शन विंग के अधिकारियों द्वारा की जाती है। इसके बाद डिलीवर होने पर इस सामान की सेंट्रल टैस्टिंग लेबोरेट्री में जांच की जाती है। इसके बाद स्पैसिफिकेशन के अनुरूप पाये जाने पर ही लाइन मैटेरियल को फील्ड में स्थापित किया जाता है, जो सामान उपयुक्त नहीं होता है, उसे नियमानुसार वापस करने की कार्यवाही की जाती है।
8 ठेकेदार फर्मो पर कार्रवाई